महायोगी गुरु गोरक्षनाथ योग संस्थान
योग साधना के फलस्वरूप शारीरिक वृत्तियाँ, इन्द्रियाँ, मन तथा सांसारिक शक्तियाँ जागृत एवं व्यक्त होती हैं। तब मनुष्य अपने आन्तरिक स्वरूप के गौरव का अनुभव करता है। अपने शरीर, इन्द्रियों तथा मानसिक प्रवृत्तियों पर संयम स्थापित करने के बाद वह अपने भीतर ऐसे ज्ञान और शक्ति, ऐसी इच्छा शक्ति, शान्ति सौन्दर्य और आनन्द का अनुभव करता है, जैसा सामान्य जीवनक्रम में असम्भव प्रतीत होता है। योग शक्ति के आध्यात्मिक, मानसिक एवं शारीरिक प्रभाव को जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से वर्ष 1982 में महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज द्वारा मन्दिर परिसर में ही योग संस्थान का शुभारम्भ आरम्भ किया गया। नाथ-योग में दीक्षित प्रशिक्षक प्रशिक्षणार्थियों को योग की सभी विधाओं के सैद्धान्तिक एवम् व्यवहारिक क्रियाओं में प्रशिक्षित करते हैं। प्रशिक्षण उपरान्त नाथ योग में दीक्षित प्रशिक्षणार्थी अपने आध्यात्मिक, मानसिक एवम् शारीरिक शक्तियों का विकास कर परिवार, समाज एवम् राष्ट्र हित के कार्यों में जुट जाते हैं। योग संस्थान से लाभान्वित प्रशिक्षणार्थियों से प्रभावित होकर समाज से प्रत्येक आयु वर्ग के लोग इस संस्थान में नाथ-योग की शिक्षा पाने के अभिलाषी रहते हैं।